Mumbai pigeon feeding ban protests: कबूतरख़ाने बंद, सड़कों पर हजारों लोग

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Mumbai pigeon feeding ban protests: कबूतरख़ाने बंद, सड़कों पर हजारों लोग

परिचय

मुंबई, जिसे अक्सर “Maximum City” कहा जाता है, इन दिनों एक अलग तरह के विवाद में उलझी हुई है। मुद्दा है कबूतरों को खाना खिलाने पर लगे प्रतिबंध का। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने कई कबूतरख़ानों को ढँक दिया और कुछ को पूरी तरह बंद कर दिया। इस फैसले ने धार्मिक, सामाजिक और नागरिक संगठनों में नाराज़गी पैदा कर दी, जिसके चलते Mumbai pigeon feeding ban protests शुरू हो गए।


Mumbai pigeon feeding ban protests : घटना की पृष्ठभूमि

  • कबूतरख़ाने मुंबई के कई इलाकों में दशकों से मौजूद हैं, खासकर दादर, भुलेश्वर, और क्रॉस मैदान में।

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कबूतरों को दाना खिलाना पुण्य का कार्य माना जाता है।

  • लेकिन हाल के वर्षों में कबूतरों की संख्या बढ़ने के कारण स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी समस्याएं भी बढ़ी हैं, जैसे pigeon lung disease, बिल्डिंग डैमेज और गंदगी।

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने जुलाई 2025 में आदेश दिया कि कबूतरों को खिलाने पर रोक लगाई जाए और कबूतरख़ानों को ढँक दिया जाए।


Mumbai pigeon feeding ban protests : BMC की कार्रवाई

  • BMC ने 1 अगस्त 2025 से दादर के मशहूर कबूतरख़ाने को ढँक दिया।

  • कबूतरों को अंदर आने से रोकने के लिए नेट और टिन शीट लगाई गई।

  • उल्लंघन करने वालों पर FIR दर्ज करने की चेतावनी दी गई।

  • BMC का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है, क्योंकि कबूतरों की बीट से फंगल और बैक्टीरियल बीमारियां फैलती हैं।


Mumbai pigeon feeding ban protests : प्रदर्शन की शुरुआत

  • 3 अगस्त 2025 को कोलाबा से गेटवे ऑफ इंडिया तक 1,000 से ज्यादा लोगों ने मार्च निकाला।

  • इसमें जैन साधु, धार्मिक संगठन, पशु प्रेमी और स्थानीय नागरिक शामिल थे।

  • प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कबूतरों को दाना खिलाना मानवीय और धार्मिक परंपरा का हिस्सा है, जिसे रोका नहीं जाना चाहिए।


Mumbai pigeon feeding ban protests : प्रदर्शनकारियों की मांगें

  1. कबूतरों को खिलाने के लिए निर्धारित और साफ जगह बनाई जाए।

  2. कबूतरख़ानों को स्थायी रूप से बंद न किया जाए।

  3. BMC और धार्मिक संगठनों के बीच “मध्य मार्ग” खोजा जाए।

  4. स्वास्थ्य जोखिम कम करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं।


Mumbai pigeon feeding ban protests : राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

  • महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढा ने कहा –
    “हमें एक संतुलित और मानवीय समाधान खोजना होगा ताकि परंपरा भी बनी रहे और स्वास्थ्य पर भी असर न पड़े।”

  • कुछ नागरिक समूहों ने इस फैसले को सही ठहराया, कहते हुए –
    “सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।”


Mumbai pigeon feeding ban protests : कानूनी पहलू

  • कोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कबूतरों को खाना खिलाना मना है।

  • उल्लंघन पर नगर निगम धारा 431 और 381 के तहत कार्रवाई कर सकता है।

  • यह कदम पब्लिक हेल्थ ऐक्ट और मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट के तहत लिया गया है।


Mumbai pigeon feeding ban protests : सार्वजनिक स्वास्थ्य के आंकड़े

  • स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मुंबई में हर साल करीब 5,000 से ज्यादा लोग “हाइपरसेंसिटिव प्न्युमोनाइटिस” (Pigeon Lung Disease) से प्रभावित होते हैं।

  • कबूतरों की बीट में मौजूद फंगल स्पोर्स सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर बीमारी फैलाते हैं।


Mumbai pigeon feeding ban protests : मुद्दे का संतुलित समाधान

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • कबूतरों को खिलाने के लिए छत या खुले मैदान में नेटेड एरिया बनाया जा सकता है।

  • बीज और दाने के प्रकार पर नियंत्रण रखा जाए ताकि कबूतरों की संख्या अनियंत्रित न बढ़े।

  • धार्मिक भावनाओं और पब्लिक हेल्थ के बीच संतुलन बनाया जाए।


निष्कर्ष

Mumbai pigeon feeding ban protests ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि परंपरा और स्वास्थ्य के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। जहां एक ओर धार्मिक और मानवीय दृष्टिकोण से कबूतरों को खाना खिलाना पुण्य का कार्य है, वहीं दूसरी ओर, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे खतरनाक मानते हैं। आने वाले समय में देखना होगा कि BMC, कोर्ट और नागरिक संगठन मिलकर किस तरह का “मध्य मार्ग” अपनाते हैं।

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