करोल बाग अग्निकांड: UPSC छात्र की मौत और सिस्टम की लापरवाही का सच
दिल्ली के करोल बाग में शुक्रवार की शाम ऐसा दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने न केवल एक होनहार UPSC छात्र की जान ली, बल्कि पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या आम लोग वास्तव में सुरक्षित हैं?
25 वर्षीय धीरेंद्र मिश्रा, जो UPSC की तैयारी कर रहा था, करोल बाग के विशाल मेगा मार्ट में लगी आग की चपेट में आ गया। वह लिफ्ट में फंस गया और धुएं में दम घुटने से उसकी मौत हो गई। मौत से पहले उसने अपने भाई को जो आखिरी संदेश भेजा, उसने पूरे देश को झकझोर दिया:
“भइया, सांस फूल रही है… कुछ करो!”
यह अंतिम संदेश अब एक परिवार के दुख और सिस्टम की नाकामी की गवाही बन चुका है।
करोल बाग में आग कैसे लगी?
शुक्रवार शाम लगभग 6:45 बजे, दिल्ली के करोल बाग क्षेत्र स्थित विशाल मेगा मार्ट में भीषण आग लग गई। चंद मिनटों में आग ने पूरे भवन को घेर लिया। कई लोग जैसे-तैसे बाहर निकल पाए, लेकिन धीरेंद्र मिश्रा इमारत की लिफ्ट में फंसे रह गए।
उसने घबराहट में अपने भाई को तीन मैसेज भेजे:
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“भइया…”
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“मैं लिफ्ट में हूं, दम घुट रहा है…”
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“अब सांस फूल रही है… कुछ करो!”
लेकिन जब तक पुलिस और दमकल की टीमें मौके पर पहुंचीं, बहुत देर हो चुकी थी।
धीरेंद्र मिश्रा कौन था?
धीरेंद्र उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का निवासी था। वह पिछले 5 वर्षों से दिल्ली में रहकर UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहा था। उसका सपना था IAS अफसर बनकर देश सेवा करना और अपने माता-पिता का सपना पूरा करना।
हादसे वाले दिन वह कोचिंग से लौटते वक्त किसी काम से करोल बाग के मेगा मार्ट गया था, जहां उसकी जिंदगी छिन गई।
परिवार का दर्द
धीरेंद्र के भाई और बहन उस समय सोनभद्र में थे। जैसे ही उन्होंने उसका मैसेज पढ़ा, उन्होंने दिल्ली पुलिस और दमकल को सूचना दी। लेकिन सिस्टम की धीमी प्रतिक्रिया के कारण सब कुछ खत्म हो गया।
परिजनों का कहना है:
“अगर थोड़ी भी तेजी दिखाई जाती या लिफ्ट से समय रहते बाहर निकाल लिया जाता, तो धीरेंद्र आज जिंदा होता।”
दमकल विभाग की लापरवाही?
दमकल विभाग को आग की सूचना शाम 7 बजे मिली। करीब 12 दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और दो घंटे में आग पर काबू पाया गया।
जांच में सामने आया कि करोल बाग के इस व्यावसायिक भवन में:
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कोई फायर सेफ्टी उपकरण मौजूद नहीं थे
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कोई इमरजेंसी एग्ज़िट नहीं थी
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फायर एनओसी तक नहीं थी
यह नियमों की घोर अनदेखी और लापरवाही का प्रतीक है।
उठते हैं ये अहम सवाल:
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बिना फायर एनओसी के करोल बाग में इमारत कैसे चल रही थी?
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ऐसे हादसों से आम जनता की जान की सुरक्षा कैसे होगी?
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UPSC जैसे कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहा छात्र भी सुरक्षित नहीं, तो कौन है?
सोशल मीडिया पर गुस्सा उमड़ पड़ा है।
#KarolBaghFire और #JusticeForDhirendra जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं।
सरकार का बयान
दिल्ली सरकार ने हादसे को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि:
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दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
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सभी व्यावसायिक इमारतों का फायर ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
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ऐसी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
“भइया, सांस फूल रही है…” — ये शब्द एक आम मैसेज नहीं थे, बल्कि जीवन और मौत के बीच झूल रहे एक होनहार छात्र की आखिरी पुकार थी। करोल बाग अग्निकांड के समय UPSC की तैयारी कर रहा 25 वर्षीय धीरेंद्र मिश्रा जब लिफ्ट में फंसा था, तब उसने मदद के लिए यही मैसेज अपने भाई को भेजा। यह सिर्फ शब्द नहीं, एक कंपकंपा देने वाली चीख थी — जो अब भी हमारे कानों में गूंजती है। उसकी टूटती सांसें सिर्फ शरीर की नहीं थीं, बल्कि यह हमारी व्यवस्था की असफलता और सुरक्षा तंत्र की घुटती आत्मा की भी आखिरी निशानी थीं।
धीरेंद्र मिश्रा की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी का सबूत है।