“भारत ने सिंधु संधि रोकी: साहसिक और निर्णायक कदम”

भारत ने सिंधु संधि रोकी क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने और ऊर्जा ज़रूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से रोका: आतंकवाद और ऊर्जा ज़रूरतें बनीं मुख्य वजह
भारत ने सिंधु संधि रोकी — यह फैसला आतंकवाद, ऊर्जा ज़रूरतों और जल सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को देखते हुए लिया गया है। भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर एक ऐतिहासिक और अहम कदम उठाते हुए इसे अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के व्यवहार, लगातार सीमा पार से हो रहे आतंकवादी हमलों, बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं और जल संसाधनों की सुरक्षा से संबंधित गंभीर चिंताओं के चलते लिया गया है। यह कदम न सिर्फ भारत की जल नीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश भी देता है कि आतंकवाद और कूटनीतिक विश्वास का उल्लंघन अब और सहन नहीं किया जाएगा। भारत ने सिंधु संधि रोकी क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने और ऊर्जा ज़रूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संधि की पृष्ठभूमि
“भारत ने सिंधु संधि रोकी: आतंकवाद के खिलाफ सख्त और निर्णायक कदम”
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में संपन्न हुई थी। इसके तहत भारत को पूर्वी नदियों — सतलुज, रावी और ब्यास — का नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — का विशेषाधिकार दिया गया। यह संधि दशकों से दोनों देशों के बीच जल संबंधों की नींव बनी रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे एक सफल जल-साझेदारी का उदाहरण माना जाता रहा है।
भारत के निर्णय के पीछे मुख्य कारण
1. पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद
भारत ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस बात को उठाया है कि पाकिस्तान अपनी भूमि का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए होने दे रहा है। सीमावर्ती इलाकों में बार-बार घुसपैठ और आतंकी हमलों से भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरा हुआ है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को भारत ने “संधि के धैर्य की अंतिम सीमा” बताया है।
2. ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतें
भारत एक विकासशील राष्ट्र है और उसकी ऊर्जा आवश्यकताएं लगातार बढ़ रही हैं। जल विद्युत परियोजनाओं के लिए भारत को अधिक जल संसाधनों की आवश्यकता है। पश्चिमी नदियों से प्राप्त पानी को उपयोग में लाने की भारत की योजना वर्षों से लंबित रही है, लेकिन अब इसे संधि के दायरे से बाहर जाकर आगे बढ़ाने की ज़रूरत महसूस की गई है। भारत ने सिंधु संधि रोकी क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने और ऊर्जा ज़रूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
3. बांधों और जल संरचनाओं की सुरक्षा
भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान द्वारा समय-समय पर बांधों और जल संरचनाओं को लेकर आपत्तियां दर्ज कराना और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बदनाम करना उसकी नियत पर सवाल उठाता है। बांधों की सुरक्षा और निगरानी भारत की संप्रभुता के तहत आती है, और उसमें बाहरी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।
“भारत ने सिंधु संधि रोकी: आतंकवाद के खिलाफ सख्त और निर्णायक कदम”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र में भारत के इस निर्णय की जानकारी दी गई और इसका कूटनीतिक आधार स्पष्ट किया गया। विश्व समुदाय ने भारत के तर्कों को गंभीरता से लिया है, विशेष रूप से आतंकवाद से जुड़े बिंदुओं को। कई देशों ने जल संधियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर बल दिया है। भारत ने सिंधु संधि रोकी — यह फैसला आतंकवाद, ऊर्जा ज़रूरतों और जल सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को देखते हुए लिया गया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने इस निर्णय को “संधि का उल्लंघन” बताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है। हालांकि, भारत की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि यह कोई स्थायी रद्दीकरण नहीं है, बल्कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनज़र लिया गया एक अस्थायी निलंबन है।
आगे का रास्ता
भारत ने संकेत दिया है कि यदि पाकिस्तान अपने रवैये में बदलाव करता है, आतंकवाद पर रोक लगाता है और जल-संधि के नियमों का सम्मान करता है, तो संधि को पुनः लागू किया जा सकता है। लेकिन तब तक भारत अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा को प्राथमिकता देगा।
भारत ने सिंधु संधि रोकी क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने और ऊर्जा ज़रूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निष्कर्ष
भारत का यह कदम केवल एक जल संधि के निलंबन का मामला नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश है कि अब भारत किसी भी तरह की दोहरी नीति या विश्वासघात को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह फैसला देश की सुरक्षा, ऊर्जा आत्मनिर्भरता और कूटनीतिक संप्रभुता की दिशा में बड़ा कदम है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। भारत ने सिंधु संधि रोकी क्योंकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने और ऊर्जा ज़रूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
“भारत ने सिंधु संधि रोकी: साहसिक और निर्णायक कदम”