हाल के दिनों में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों और परमाणु हमलों की अप्रत्यक्ष धमकियों के मद्देनज़र भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत सरकार ने कहा है कि यदि भारत की सुरक्षा या संप्रभुता को चुनौती दी गई, तो देश निर्णायक और कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय से जुड़े उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार, भारत आतंकवाद और परमाणु हथियारों से जुड़ी किसी भी धमकी को हल्के में नहीं लेगा। चाहे वह सीमा पार से हो या किसी आतंकी संगठन द्वारा प्रायोजित हो — भारत ने स्पष्ट किया है कि जवाब “प्रतिरोधात्मक” नहीं बल्कि “प्रभावशाली और निर्णायक” होगा।
भारत लंबे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में। पुलवामा, उरी, पठानकोट जैसे हमलों ने भारत को बार-बार यह याद दिलाया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। हाल के इंटेलिजेंस इनपुट्स और वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञों की रिपोर्टों में यह आशंका जताई गई है कि कुछ आतंकी समूह परमाणु हथियारों के आसपास के वातावरण को अस्थिर करने की कोशिश कर सकते हैं — जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक शांति को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
भारत की रणनीति अब ‘स्ट्रैटेजिक डिटरेंस’ यानी रणनीतिक प्रतिरोध पर आधारित नहीं रह गई है, बल्कि अब यह एक सक्रिय और आक्रामक रक्षा नीति की ओर अग्रसर हो रही है। इस नई नीति के अंतर्गत, भारत ने अपनी मिसाइल प्रणाली, रडार सिस्टम, और अंतरिक्ष निगरानी प्रणाली को उन्नत किया है, जिससे किसी भी परमाणु या आतंकी हमले की तुरंत पहचान कर जवाब दिया जा सके।
इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया है। संयुक्त राष्ट्र, जी20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत ने बार-बार यह मांग की है कि आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक, एकजुट और कठोर नीति होनी चाहिए। भारत का यह भी मानना है कि परमाणु हथियारों को लेकर किसी भी प्रकार की ‘ब्लैकमेलिंग’ या ‘डिप्लोमैटिक प्रेशर’ को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
भारत की सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही अब हाई अलर्ट पर हैं। सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command) को स्थिति पर निगरानी रखने और तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। भारत परमाणु धमकी में हुए आतंकी हमलों का जवाब देगा