पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने बताया कि ‘हम लोग हंसी-खुशी बैठे थे, इतने में आतंकी आए और..
यह बयान बेहद दिल दहला देने वाला है और इस घटना की अमानवीयता को साफ़ तौर पर उजागर करता है। शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या का यह बयान न केवल उनके निजी दर्द को दर्शाता है, बल्कि पूरे देश की उस पीड़ा को भी आवाज़ देता है जो इस आतंकी हमले के कारण फैली है।
घटना का भावनात्मक पक्ष:
“हम लोग हंसी-खुशी बैठे थे…”
शुरुआत के ये शब्द उस पल की सामान्यता को दर्शाते हैं – एक खुशनुमा पल जो कुछ ही क्षणों में एक भयानक त्रासदी में बदल गया।
“आतंकी आए और बंदूक रख के शुभम को पूछा कि हिंदू है कि मुसलमान…”
यह सवाल इस हमले की क्रूर धार्मिक मानसिकता को दिखाता है। यह नफरत की राजनीति का सबसे वीभत्स रूप है, जहां इंसान की जान उसकी पहचान से पहले तय की जाती है।
“हमने जवाब दिया कि हिंदू, तो तुरंत गोली से मार दी…”
यह वाक्य किसी भी इंसान की आत्मा को झकझोर देने के लिए काफी है। धर्म के आधार पर हत्या, वह भी आंखों के सामने, एक ऐसी पीड़ा है जो शब्दों से परे है।
ऐशान्या की गवाही का महत्व:
ऐशान्या की यह प्रत्यक्ष गवाही जांच एजेंसियों और सरकार के लिए न सिर्फ एक अहम सुराग है, बल्कि यह आतंकियों की मानसिकता, उनके सवाल-जवाब करने का तरीका और उनके इरादों की पुष्टि भी करती है। इससे पता चलता है कि हमला पूर्व-नियोजित था और धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया।